Tuesday, 19 September 2017

शिक्षा, संस्कार, और धर्म

👉� *शिक्षा, संस्कार और धर्म* 👈�

    आदरणिय साथियों, मित्रों, बन्धुओं हम अपने बच्चो को क्या शिक्षा दे रहे हैं,
1:- आज के युग में हम सभी शिक्षा पर जौर दे रहे हैं, हमारे बच्चे फला निजी स्कूल में रढ़ने जाते हैं हमारे एक बच्चे की वार्षिक पढाई फीस ईतनी है, आज के युग में जरूरी भी है,

2:- क्या हम अपने बच्चो को यह संस्कार दे रहे हैं, सुबह उठने के बाद माता पिता ,बड़े बुढ़ो को प्रणाम करना प्रणाम करते समय जय माताजी, जय श्री कृष्ण, जय आईजी, बोल कर प्रणाम करना, पूजा के समय आरती में सहभागी बने पूजा करते समय साथ बैठे,घर में बड़ो का सम्मान करना मेहमानों को प्रणाम करना,

3:- हम सीरवियों की आराध्य देवी माँ आईजी की गाथा सुनाये, हमारी बारा महिनों के बीज के महत्व समझाये, हम भादवा महीने की बीज पर्व बड़े उत्साह से मनाते हैं इस पर्व को क्यू मनाते है यह समझाये, हम जब (वढ़ेर) मन्दिर दर्शनार्थ जाये तो बच्चों को साथ ले जाये ,अपने कुल के देवी देयताओं के बारे में बताएं, हमारे हिन्दू देवी देयताओं के बारे बताए,

4:- बच्चे जब बड़े हो जाए तो उन्हें  समाज में आना जाना यह समझाए , समाज, परिवार, रिश्तेदारों से मिल कर रहना यह समझाए,

5:- आज के इस बदलते युग में शिक्षा ,पढ़ाई बहुत जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी संस्कार, और धर्म है, अगर पढ़ाई करली और संस्कार और धर्म यह नहीं तो पढ़ाई व्यर्थ ही है, क्योंकि यह दोनों गुण इन्सान में नहीं होने पर वह समाज और परिवार में अकेला रह जाएगा,

अत:अपने बच्चों को सर्वगुण सम्पन्न बनाए हम माता पिता का यह कर्तव्य और जिम्मेदारी भी है !
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   *सीरवी शान्तिलाल चोयल रायपुरिया*
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