सोशल मीडिया इंटरनेट के माध्यम से एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाता है जिसे उपयोग करने वाला व्यक्ति सोशल मीडिया के किसी प्लेटफॉर्म (फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम) आदि का उपयोग कर पहुंच बना सकता है।
मौजूदा समय में इंटरनेट की दुनिया में पैठ बना चुका हर व्यक्ति आज किसी न किसी सोशल नेटवर्किंग साइट से जुड़ा है। इसमें कोई संशय नहीं है सोशल मीडिया का मंच आज अभिव्यक्ति का नया और कारगर माध्यम बन चुका है। इससे जुड़े लोग बेबाकी से अपनी राय इस मंच के माध्यम से जाहिर करते हैं। हालांकि, सोशल मीडिया के प्रति बढ़ती दीवानगी जहां कई मायनों में सार्थक नजर आती है, वहीं इसके दुरुपयोग के मामले में भी सामने आते रहते हैं।
सोशल नेटवर्किंग साइट एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ित अपने विचारों को दूसरे व्यक्तियों के साथ साझा कर सकता है। फेसबुक और ट्विटर अन्य व्यक्तियों को हमारे दोस्तों को देखने की सुविधा देता है। सोशल मीडिया से हर वक्त चिपके रहने वाले लोगों को आजकल कहीं भी बड़े आराम से देखा जा सकता है। हममे से भी कई लोग ऐसा करते हैं, लेकिन कहीं आपकी इस आदत ने लत का रूप तो नहीं ले लिया है !
फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स और विभिन्न ऐप्लीकेशन आज लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं। यदि इन सभी से आदमी थोड़ी देर के लिए भी दूर होता है तो वह बेचैन हो जाता है। शुरूआत में सोशल मीडिया यानी न्यू मीडिया का मकसद लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने के साथ ही संचार माध्यम को मजबूती देना था। अपने इस मकसद में सोशल मीडिया को सफलता भी मिली। लेकिन साथ ही इसने सामाजिक संबंधों को भी प्रभावित किया है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, दूसरे पहलू के रूप में सोशल मीडिया ने लोगों के संबंधों में दखल किया है।
पहले इन साइट्स का इस्तेमाल पुराने स्कूल के दोस्तों को खोजने और परदेश में रह रहे रिश्तेदारों से संपर्क बनाने के लिये किया जाता था। हाल के वर्षों में इन्होंने हमारे करीबी संबंधों के सभी पहलुओं को घेर लिया है, विशेष रूप से हमारे जीवन और संबंधों को। फेसबुक और ट्विटर लोगों को उनके दोस्तों व रिश्तेदारों की पसंद-नापसंद और सामाजिक दायरे से जोड़ता है। इस पूरे कार्यक्रम में कोई प्रत्यक्ष वार्तालाप या मुलाकात शामिल नहीं होती है। फेसबुक पर किसी के बारे में लोग राय उसके द्वारा साझा की गई पोस्ट और टिप्पणियों के आधार पर करते हैं।
सोशल नेटवर्किंग साइट अधिकांश लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। शुरूआत में इस तरह की वेबसाइटों ने आपसी संबंधों को मजबूती दी, लेकिन अब आकर यह रिश्तों में समस्या पैदा करने का भी कारण बन गई हैं। इसलिए लॉगइन करने से पहले और अपनी निजी जिंदगी को दुनिया के साथ साझा करने से पहले एक बार अपने साथी से बात कर लें। सोशल नेटवर्किंग किसी रिश्ते में असंतोष का कारण बन सकती है। जब आपका साथी आपसे ज्यादा सोशल नेटवर्किंग साइट पर समय बिताता है तो आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है। ऐसे में इसका दुष्प्रभाव यह होता है कि व्यक्ति खुद को उपेक्षित महसूस करने लगता है।
युवा सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग ना सिर्फ दोस्त बनाने के लिए बल्कि गर्ल-फ्रेंड और ब्वॉय फ्रेंड ढूंढने के लिए भी खूब कर रहे हैं। इतना ही नहीं सोशल नेटवर्किंग आज के जमाने में मैरिज काउंसलर तक की भूमिका में आ गया है। इसके साथ ही यह दो लोगों के आपसी रिश्तों में खटास पैदा करने का कारण भी बन रहा है। फेक प्रोफाइल इसका एक उदाहरण है। कम उम्र के लड़के और लड़कियों की आदत होती है कि उत्साह में प्रोफाइल पर अपनी सभी जानकारी साझा कर देते हैं। प्रोफाइल पर अपना फोन नंबर, घर का पता या फिर कोई भी प्राइवेट इनफार्मेशन शेयर करने से कई बार समस्या आ जाती है। ऑन लाइन होने पर कुछ लोग खुद को जैसा प्रदर्शित करते हैं वे वास्तविक जीवन में वैसे नहीं होते। बाद में हकीकत जानने पर रिश्ते में दरार आने लगती हैं।
किशोरों पर अपने दोस्तों द्वारा पर शेयर की गई तस्वीरों का असर पड़ता है। नए अध्ययन से यह बात साफ हुई है कि फेसबुक और ट्विटर आदि सोशल साइट्स पर तस्वीरों में दोस्तों को सिगरेट और शराब पीते हुए देखकर किशोर इससे दूर नहीं रह पाते।
सोशल मीडिया ने पहचान की चोरी, विवरण की चोरी, साइबर धोखाधड़ी, हैकिंग और वायरस के हमलों की संभावना को बढ़ावा दिया है। यदि आप ने अपना पता, फोन नंबर, कार्यस्थल और अपने परिवार की जानकारी किसी भी सोशल मीडिया की साइट पर अपडेट किया है, तो आपने अपनी गोपनीयता को खो दिया है। आमतौर पर हम फेसबुक पर दिन-प्रतिदिन की नई-नई तस्वीरें डालते रहते हैं। ऐसा करते समय बहुत सतर्क रहना चाहिये, क्योंकि चित्र और अन्य जानकारियों का समाज में बुरे तत्वों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है।
सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव
* यह बहुत सारी जानकारी प्रदान करता है जिनमें से बहुत सी जानकारी भ्रामक भी होती है।
* जानकारी को किसी भी प्रकार से तोड़-मरोड़कर पेश किया जा सकता है।
* किसी भी जानकारी का स्वरूप बदलकर वह उकसावे वाली बनाई जा सकती है जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता।
* यहां कंटेंट का कोई मालिक न होने से मूल स्रोत का अभाव होना।
* प्राइवेसी पूर्णत: भंग हो जाती है।
* फोटो या वीडियो की एडिटिंग करके भ्रम फैला सकते हैं जिनके व्दारा कभी-कभी दंगे जैसी आशंका भी उत्पन्न हो जाती है।
* सायबर अपराध सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है।
सोशल मीडिया आभासी दुनिया का नेटवर्क है यह असल जीवन या जिंदगी के नेटवर्क का विकल्प नहीं हैं इसको भी हमें समझना पड़ेगा। इस नए मीडिया ने संवादहीनता खत्म तो की हैं लेकिन असल जिंदगी के रिश्तो जिसमें आपके दोस्त, आपके पडोसी,आपके रिश्तेदार जो जरूरत पड़ने पर आपके काम आते थे को भी कहीं ना कहीं आपसे दूर भी किया हैं। अब आप उन्हें उतना समय नहीं दे पाते जितना आप पहले दे पाते थे।
नकारात्मक एवं सकारात्मक सोच के लोग इसी समाज में रहते हैं सोशल मीडिया का इस्तेमाल किस सोच के साथ एवं कैसे किया जाये समाज में यह हमें ही तय करना है इतना जरूर है कि हम सबको थोड़ी सावधानियाँ जरूर बरतनी होगी सोशल मीडिया को इस्तेमाल करते वक़्त।
इसलिए सोशल मीडिया की कार्यपद्धति और इसके इस्तेमाल करने के तरीके को समझना जरूरी है। सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग भारी मुसीबत ला सकता है। इसे रोकने के लिए आपको फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया पर अपना समय सीमित करना होगा। आराम करने और बाहर जाने के लिए समय निकालें। इंटरनेट केवल सोशल मीडिया के उपयोग लिए ही नहीं है। यह सूचना का एक भंडार गृह है, इसलिए इसका उपयोग बुद्धिमानी से करें।
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