Thursday, 5 October 2017

हिसाब क्या करे !!

जिंदगी ने दिया है जब इतना  बेशुमार यहाँ
तो फिर जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें !!

खुशी के दो पल काफी है खिलने के लिये
तो फिर उदासियों का हिसाब क्या रखें !!

हसीन यादों के मंजर इतने हैं जिन्दगानी में
तो चंद दुख की बातों का हिसाब क्या रखें !!

मिले हैं फूल यहाँ इतने किन्हीं अपनों से
फिर काटों की चुभने का हिसाब क्या रखें !!

चाँद की चाँदनी  जब इतनी दिलकश है
तो उसमें भी दाग है ये हिसाब क्या रखें !!

कुछ तो जरुर बहुत अच्छा है सभी में यारों
फिर जरा सी बुराइयों का हिसाब क्या रखे ।

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